एक समय था जब पेड़ों के ऊपर गौरैयों का जमावड़ा होता था। गर्मियों के दिनों मे उनकी चीं-चीं की आवा
मां आंगन में चावल पसारे तो गौरैयों का उड़ कर आना। रसोई घर की रोशन दान को घेरे रखना। चावल की फसलों पर अपनी नजरें बनाए रखना। कई एेसे काम करती थी गौरैया जिससे हम परेशान हो जाते थे। अब यह माहोल है की इस प्रजाती की चिड़िया मुश्किल से देखने को मिलती है।
शायद गौरैयों को यह आहसास हो गया था की हम इंसान उनसे परेशान होते जा रहे हैं, इसलिए उन्होनें अपना ठोर-ठिकाना बदलना ही ठीक समझा।
एक रिर्पोट के मुताबिक, सिलिंग फैन के चलन में आने के बाद गौरैयों का बड़े स्तर पर खात्मा हुआ है। शोध के दौरान शहर के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले तीन हजार परिवारों से बात किया गया और इनमें से 2174 लोगों ने माना था कि उनके घर में गौरैया पंखे से कटी है। इस आधार पर देखा जाए तो गौरैयों की बहुत बड़ी आबादी सिलिंग फैन का शिकार हो गई।
वातावरण के बदलाव से भी दूर भाग रहीं
तापमान में लगातार बढ़ोतरी भी गौरैया को हमारे बीच से कम कर रही है। पर्यावरण को सहज बनाते हुए और मानवीय जीवन के साथ गौरैया जैसी चिड़िया का अस्तित्व बनाए रखने के लिए जरूरी है कि हम उनके घोंसलों को संरक्षण दें।
जू में भी जागरुकता कार्यक्रम
विश्व गौरैया दिवस पर गौरैया संरक्षण के जागरुकता के लिए चिड़िया घरों में लोगों को गौरैया के घोंसले बाटें जाएंगे। इसके साथ ही गौरैया की उपयोगिता के बारे में भी बताया जाएगा।
गर्मियों में कैसे बचाएं गौरैयों को
इस चिलचिलाती गर्मी में जब हम इंसान पानी को तरस जाते हैं तो इन पक्षियों का क्या जो सारा दिन आसमान में उड़ते हैं। गौरेया दिवस के मौके पर मोहल्लों में चिड़ियों के पानी के लिए बर्तन और दाना बांटकर लोगों को जागरुक करें।
गौरैयों को इस तरह बचा सकते हैं
1. गर्मी के दिनों में अपने घर की छत पर एक बर्तन में पानी भरकर रखें।
2. गौरैया को खाने के लिए कुछ अनाज छतों और पार्कों में रखें।
3. कीटनाशक का प्रयोग कम करें।
4. अपने वाहन को प्रदूषण मुक्त रखें।
5. हरियाली बढ़ाएं, छतों पर घोंसला बनाने के लिए कुछ जगह छोड़ें और उनके घोंसलों को नष्ट न करें।
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