कहानी एक लेखक हमेशा कुछ न कुछ अच्छा लिखने को तड़पता रहता है , वो हमेशा से अपने पाठकों को इस दुनिया में हो रही हलचलों से, नयी बातों से रूबरू कराने की कोशिश करता है, वो चाहता है हमेशा उसके पाठक उसकी कहानियों में खुद को ढूंढें, वो उसकी लिखी कहानियों को समझे, जाने , और कुछ नया सीखें. वो अपनी ज़िन्दगी के सारे अनुभवों को एक कहानी में इस तरह पिरोता है जैसे मानो वो जानता हो कि उसके पाठकों की ज़िन्दगी में क्या चल रहा है , वो अपनी कहानियों में उनके उलझे हुए सवालों के जवाब दे जाता है ... मै कोई लेखक नहीं हूँ पर आज कुछ लिखने को मैं कर रहा है , देवरिया शहर के एक छोटे से घर के कमरे में बैठा हुआ मैं , मेज पर रखे टाइपराइटर और कुछ पन्नो का ढेर देख कुछ लिखने को मैं व्याकुल हो उठा तो मेने अपनी कुर्सी सरका कर मेज के साथ लगाई , पन्नो के ढेर से एक पन्ना निकाला और टाइपराइटर में लगाया, और उंगलियां टाइपराइटर के बटन्स पर रखी ... क्या लिखूं , कहाँ से शुरू करूँ, टाइपराइटर में फसा वो पन्ना मुझसे बोल रहा था , शुरू करो, कुछ लिख डालो मुझ पर ... कमरे में चमकता हुआ बल्ब बार बार जल बुझ रहा था...कमरा छोटा था तो मैंन...
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